लेखनी कहानी -12-Mar-2024
भुख
जनाब पापी पेट का सवाल है ख्वाब में मेरे खेत का बवाल है इसी से मन में मेरे आज भी ना सुख है इस बेरोजगारी के आलम में हा भूख है वादा करू मै क्या औरो से खुद का पेट मै भर नही सकता सादा जीवन है मेरा औरो से सादगी को मै चाहकर भी त्यज नही सकता इसी से मन में मेरे आज भी ना सुख है इस बेरोजगारी के आलम में हा भूख है भोली भाली सूरत से मै चुप रहता हुँ सादगी भरे आचरण से मै धुप देता हूं इसी से मन में मेरे आज भी ना सुख है इस बेरोजगारी के आलम में हा भूख कुछ की तो अमीर घराने की सौगात से हवस की भूख से सदा मिलना होता है कुछ तो लालच की सौगात से हैवानियत के सुख से सदा मिलना होता है इसी से मन में मेरे आज भी ना सुख है इस बेरोजगारी के आलम में हा भूख है हममें ती सदा ज्ञान की भूख बसी रहती है जितना खाओ उतनी ही भूख बढ़ती रहती है इसी से मन में मेरे आज भी ना सुख है इस बेरोजगारी के आलम में हा भूख है किताबी ज्ञान से व्यवहारिक ज्ञान का ताल मेल बिठाना इतना आसान नही है सदियों लग जाता ज्ञान के वर्चस्व भान को मन में सावरकर रखना इतना आसान नही है इसी से मन में मेरे आज भी ना सुख है इस बेरोजगारी के आलम में हा भूख है तो भाई मन में कई सांसारिक सुख रखु पहले से इस मन में ना किसी प्रकार की भूख है इसी से मन में मेरे आज भी ना सुख है इस बेरोजगारी के आलम में हा भूख है यही भूख मन में दुराग्रह का आचरण है यह भूख हि मन में सदवृति का आवरन है इसी से मन में मेरे आज भी ना सुख है इस बेरोजगारी के आलम में हा भूख है
Mohammed urooj khan
13-Mar-2024 04:11 PM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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Gunjan Kamal
12-Mar-2024 11:59 PM
बहुत खूब
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